Zaalima Lyrics – Arijit Singh

Zaalima Lyrics in Hindi – Arijit Singh

zaalima song lyrics :
जो तेरी ख़ातिर तड़पे पहले से ही, क्या उसे तड़पाना
ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा
जो तेरे इश्क़ में बहका पहले से ही, क्या उसे बहकाना
ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा

जो तेरी ख़ातिर तड़पे पहले से ही, क्या उसे तड़पाना
ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा
जो तेरे इश्क़ में बहका पहले से ही, क्या उसे बहकाना
ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा

आँखें मरहबा, बातें मरहबा, मैं १०० मर्तबा दीवाना हुआ
मेरा ना रहा जब से दिल मेरा, तेरे हुस्न का निशाना हुआ
जिसकी हर धड़कन तू हो, ऐसे दिल को क्या धड़काना?
ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा

जो तेरी ख़ातिर तड़पे पहले से ही, 
क्या उसे तड़पाना
ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा

साँसों में तेरी नज़दीकियों का इत्र तू घोल दे, घोल दे
मैं ही क्यूँ इश्क़ ज़ाहिर करूँ? तू भी कभी बोल दे, बोल दे
साँसों में तेरी नज़दीकियों का इत्र तू घोल दे, घोल दे
मैं ही क्यूँ इश्क़ ज़ाहिर करूँ? तू भी कभी बोल दे, बोल दे

लेके जान ही जाएगा मेरी, क़ातिल हर तेरा बहाना हुआ
तुझ से ही शुरु, तुझ पे ही ख़तम मेरे प्यार का फ़साना हुआ
तू शम्मा है तो याद रखना मैं भी हूँ परवाना

ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा
जो तेरी ख़ातिर तड़पे पहले से ही,
क्या उसे तड़पाना
ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा
दीदार तेरा मिलने के बाद ही छूटे मेरी अंगड़ाई

तू ही बता दे क्यूँ “ज़ालिमा” मैं कहलाई
क्यूँ इस तरह से दुनिया-जहाँ में करता है मेरी रुसवाई?
तेरा क़सूर और “ज़ालिमा” मैं कहलाई

दीदार तेरा मिलने के बाद ही छूटे मेरी अंगड़ाई
तू ही बता दे क्यूँ “ज़ालिमा” मैं कहलाई
तू ही बता दे क्यूँ “ज़ालिमा” मैं कहलाई

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